Thursday, December 28, 2023

आ पतझर

आ पतझर
आ, गिरा पीले पात
ला हरापन!

-डॉ. जीवनप्रकाश जोशी

आनन्द गान

आनन्द गान
आरोह में खो जाऊँ
प्रिय हो जाऊँ!

-डॉ. कविता भट्ट

आनंद कभी

आनंद कभी
व्याख्यायित हुआ है
हवा है वह

-डॉ. भगवतशरण अग्रवाल

आधुनिकता

आधुनिकता
अगवा कर लायी
गाँव के गाँव

-डॉ. राजकुमार पाटिल

आदि से अंत

आदि से अंत
तुम खड़े सौ पर
मैं शून्य पर!

-सुशीला जोशी

Thursday, September 28, 2023

अचेत नदी

अचेत नदी
बिन माँ के बच्चों–सी
सुबके रेत

-नरेन्द्र श्रीवास्तव

Thursday, August 03, 2023

आदिम गंध

आदिम गंध
रुधिर की है प्यास
हम हैं सभ्य
-डॉ. विद्याविन्दु सिंह

आदमी नहीं

आदमी नहीं
ईंट–खण्डहरों में
जीता शहर
-डॉ. कमलकिशोर गोयनका

आदमी खड़ा

आदमी खड़ा
बिजूके की तरह
बीच शहर 
-पुरुषोत्तम सत्यप्रेमी

आदमियत

आदमियत
बराबरी, सद्भाव
मेल-मिलाप
-राजेन्द्र धस्माना

आत्मपीड़ा ही

आत्मपीड़ा ही
कविता कहलाती
कागज पर
-कुसुम गोयनका

आते ही आते

आते ही आते
तानाशाह सूर्य ने
दीये बुझाये
-कमलेश भट्ट कमल

आती सवारी

आती सवारी
होशियार रहना
दूध के घोड़े
-अश्विनी कुमार आलोक

आती छन के

आती छन के
नीले खस पर्दे से
ठंडी फुहार
-डॉ. सत्यपाल चुघ

आती हैं कब

आती हैं कब
खुशियाँ हवाओं–सी
गुजर जातीं
-डॉ. सविता खन्ना

आतीं किनारे

आतीं किनारे
लहरें समुद्र की
पग-फेरों में
-योगेन्द्र वर्मा

अपनापन

अपनापन
अपनों में खोजना
रेत में सुई

-निवेदिताश्री

Wednesday, June 21, 2023

अपने रूठे

अपने रूठे
जग वालों के साथ
नाते यूँ टूटे !

-आनंद सिंघनपुरी

अपने ‘पर’

अपने ‘पर’
तौलते रहे पक्षी
दरख़्तों पर 

-बृजेश त्रिपाठी

अपने तट

अपने तट
डूबते देखती है
उफनती नदी

-गंगा पांडेय भावुक

अपने जाये

अपने जाये
अपनों के हो गये
बुढ़ापा रोये

-भगवत भट्ट

अपने घोड़े

अपने घोड़े
बेलगाम हो गये
कैसी लाचारी !

-सावित्री डागा

अपनी व्यथा

अपनी व्यथा
चीखकर बताता
समुद्र हमें

-ममता किरण

अपनी भाषा

अपनी भाषा
अपने जैसे लोग
सीमा के पार

-पवन कुमार जैन

अपनी बोली

अपनी बोली
कितनी मीठी प्यारी
मिसरी घोली

-सूर्यदेव पाठक पराग

अपनी पारी

अपनी पारी
सुख–दुख खेलते
आ बारी–बारी
 
-डॉ. सुरंगमा यादव

अपना हाथ

अपना हाथ
खींच लेते हैं लोग
वक़्त के साथ

-उमेश कुमार पटेल

अपना मन

अपना मन
अपने ही कर्मों का
एक दर्पन

-ज्ञानेन्द्र साज़

अपनापन

अपनापन
ढूँढ़ मत दोस्तों में
टूट जाएगा !

-डा. सुरेन्द्र सिंघल

अपनापन

अपनापन
गल रहा मोम–सा
आकुल मन

-द्विजेन्द्र शर्मा

अपना दोष

अपना दोष
और के माथे मढ़ा
हुआ सन्तोष

-भँवरलाल उपाध्याय ‘भँवर’

अपना कोई

अपना कोई
तलाशती जिन्दगी
दोराहे पर

-डॉ. लाज मेहता

अपना अण्डा

अपना अण्डा
साथ लिये घूमती
नन्ही चींटी भी

–सूरज कुमार

अनाम गंध

अनाम गंध
बिखेर रही हवा
धान के खेत

-डॉ. जगदीश व्योम

अनाथ हुआ

अनाथ हुआ
साँसों का परिवार
बिना जंगल

-डॉ. सन्तोष व्यास

अनाथ बच्चे

अनाथ बच्चे
समय से पहले
हुए सयाने

-शैलेन्द्र चौहान

अनमनी हैं

अनमनी हैं
धूप छू हँस देंगीं
रूठी कलियाँ

-डॉ. अश्विनी कुमार विष्णु

अधूरे ख़्वाब

अधूरे ख़्वाब
जीने ही नहीं देते
कहाँ हो आप !

-जाविद अली

अधूरे ख़्वाब

अधूरे ख़्वाब
अजीब–सा सन्नाटा
टूटता दिल

-सुरेश चौधरी

अधूरे खत

अधूरे खत
आवारा दोपहरें
पुरानी यादें !

-नरेश बोहरा नाशाद

अधूरा ज्ञान

अधूरा ज्ञान
कराये अनादर
घटाये मान

-प्रशान्त शर्मा

अधूरा चित्र

अधूरा चित्र
बारिश में भीगती
नई दुल्हन

-संजय सनन

अधिक बातें

अधिक बातें
बेमतलब हँसी
उलझे रिश्ते

–मानोशी चटर्जी

अत्यंत खुश

अत्यंत खुश
देखकर नन्हे को 
तुतलाता हूँ

-डॉ. नरेन्द्र कल्ला

अतिथि कक्ष

अतिथि कक्ष
द्वार, पर्दे, बिस्तर
प्रतीक्षारत

-आभा खरे

अठखेलियाँ

अठखेलियाँ
मिली ज्यों सहेलियाँ
सिन्धु–लहरें

-सुदर्शन रत्नाकर

अट्टालिकाएँ

अट्टालिकाएँ
चुराती हैं उजाला
खपरैलों का

-श्याम खरे

अटारी गिरी

अटारी गिरी
खण्डित प्रतिमाएँ
टूटे सपने

-डॉ. सन्तोष व्यास

अटकी साँसें

अटकी साँसें
स्वेद से भीगा तन
सिर पे बोझा

-पुष्पा मेहरा

अटकी साँस

अटकी साँस
कागज की किताब
पेड़ खा गयी

-दिनेश चन्द्र पाण्डेय

अटकी कारें

अटकी कारें
ऊँट के कूबड़–सा
स्पीड ब्रेकर

-राजेन्द्र मिश्र

अटका चाँद

अटका चाँद
नीम की डाली पर
बना पतंग

–नरेन्द्र मिश्रा

अजीब हुई

अजीब हुई
महामारी में सोच
अवैज्ञानिक

-डॉ. नरेन्द्र कल्ला

अजाने रास्ते

अजाने रास्ते
चलते रहे पाँव
ज़िंदगी भर

-डॉ. अवनीश सिंह चौहान

अजां औ घंटे

अजां औ घंटे
ठेले की अँगीठी पे 
चाय पतीला

–उपेन्द्र प्रताप सिंह

अजब हैं ये

अजब हैं ये
दुनियावी रिश्ते भी
मौसम–जैसे

-डॉ. आरती स्मित

अजब याद

अजब याद
हूक–सी दे जाती है
सोन चिरैया !

-डॉ. लक्ष्मणप्रसाद नायक

अजगर–सा

अजगर–सा
महानगर दाबे
चूहे–सा गाँव

-डॉ. जीवनप्रकाश जोशी

अछूत बन

अछूत बन
गुमसुम–सी खड़ी
द्वार की घंटी

-डॉ. पूर्वा शर्मा

अग्नि–परीक्षा

अग्नि–परीक्षा
जानकी प्रकटन
व्यर्थ विवाद

-प्रो. ओमप्रकाश गुप्ता

अग्नि कुंड पे

अग्नि कुंड पे
बारिश का हमला
जूझती ज्वाला

-अरुन शर्मा

अगन बाण

अगन बाण
तड़पती धरणी
दुबली नदी

-अनंत आलोक

अखर गया

अखर गया
चुपचाप अर्घ्य–सा
मन–रीतना !

-रजनीकांत

अक्षांश भिन्न

अक्षांश भिन्न
फिर भी धरती है
हर कहीं ‘माँ’!

-धर्म जैन

अक्षय तीज

अक्षय तीज
बद्री के खुले द्वार
पर्वत बीच

-डॉ. जितेन्द्र कुमार मिश्रा

अकेले नहीं

अकेले नहीं
सूरज भी चलता
तुम्हारे साथ

-शिवमोहन सिंह ‘शुभ्र’

अकेली साँझ

अकेली साँझ
न चंदा न सूरज
बस गौ–रज

-रेखा रोहतगी

अकेली रात

अकेली रात
खोलती सपनों की
बंद पिटारी

-शम्भूदयाल सिंह ‘सुधाकर’

अकेली जान

अकेली जान
अपनापन लिए
ढलती साँझ

-आरती पारीख

अकेला राही

अकेला राही
घुमावदार रास्ता
वर्षा का पानी

-डॉ. सूरजमणि स्टेला कुजूर

अकेलापन

अकेलापन
हालात से जूझते
जख़्मी सम्बंध

-अमिता मिश्रा ‘मीतू’

अकेलापन

अकेलापन
मन की उतरन
अँधेरी रात

-शशि पुरवार

अकेलापन

अकेलापन
नहीं होती बपौती
किसी एक की!

-अ. कीर्तिवर्धन

Tuesday, June 20, 2023

अकेला चाँद

अकेला चाँद
साथ मेरे चलता
रात में डरे

–रमेश कुमार सोनी

अकेला तू ही

अकेला तू ही
बदलेगा दुनिया
शुरू तो कर!

–डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

अकड़ा खड़ा

अकड़ा खड़ा
गुलाब के आँगन
कुकुरमुत्ता!

–डॉ. जगदीश व्योम

अंबर तले

अंबर तले
धरती की गोद में
सोया जगत

–उषा सोनी

अँधेरे रहे

अँधेरे रहे
लगा सवेरा रुका
दूर पूर्व में

–राकेश खण्डेलवाल

आतंकी हवा

आतंकी हवा
मैदानों में फोड़ती
बर्फीले बम

–आर.बी. अग्रवाल

आतंकी घन

आतंकी घन
शोर मचाये खूब
सहमी धूप

–पुष्पा सिंघी

आड़े–तिरछे

आड़े–तिरछे
बनते–बिगड़ते
ख़्वाब के खाके

–बेजी जैसन

आठों पहर

आठों पहर
दौड़े बदहवास
महानगर

–लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

आजादी–पर्व

आजादी–पर्व
कपेात के पैरों में
लिपटा मांझा

–सुनीता अग्रवाल नेह

आज लौटी हूँ

आज लौटी हूँ
जलाकर अस्थियाँ
मृत ख़्वाबों की

–स्वाति भालोटिया

आज लीडर

आज लीडर
हैं मद छके हाथी
अंकुश बिना

–डॉ. गोवर्द्धन शर्मा

आज भी खिले

आज भी खिले
राई के पहाड़ों में
वादों के फूल

–डॉ. अश्विनी कुमार विष्णु

आज दिखता

आज दिखता
पत्थरों में फूल–सा
भावी श्रमिक

–संध्या सिंह

आज के गाँव

आज के गाँव
गले में टाई बाँधे
हैं नंगे पाँव

–डॉ. सुशील द्विवेदी

आज की नारी

आज की नारी
पहुँची आकाश में
रूढ़ियाँ हारीं

–डॉ. जय भगवान शर्मा

आचार–दीक्षा

आचार–दीक्षा
केवल जानकी को
अग्नि–परीक्षा

–डॉ. सरिता शर्मा

आ चलें गाँव

आ चलें गाँव
खाएँगे मिस्सी रोटी
चूल्हे के पास

–पारस दासोत

आग ही आग

आग ही आग
दर्पण दरका रे
सूखा तड़ाग

–अरुण मिश्र

आग सुलगी

आग सुलगी
आँगन में गौरैया
ऊँची फुदकी

–सुरेश यादव

आ गये कंत

आ गये कंत
पावस के संग ज्यों
आया बसंत

–कमलाशंकर त्रिपाठी

आ गया फिर

आ गया फिर
सूरज सुस्ती छोड़
भागा अँधेरा

–वंदना गोपाल शर्मा ‘शैली’

आग ठिठुरी

आग ठिठुरी
उकड़ूँ बैठी रात
तारे गिनती

–नीलमेन्दु सागर

आग के शॉल

आग के शॉल
ओढ़ के बैठी ठंड
जले अलाव

–योगेन्द्र वर्मा

आग की पाग

आग की पाग
बाँधकर पलाश
खेला फाग

–रामेश्वर काम्बोज हिमांशु

आग का गोला

आग का गोला
कूदा तारों के ताल
प्राची में उठा

–अरुण मिश्र

आखिरी युद्ध

आखिरी युद्ध
लड़ना अकेले ही
मौत के साथ

–कमलेश भट्ट कमल

आखिरी पत्ता

आखिरी पत्ता
हवा में लहराया
मौन विदाई

-डॉ. सरस्वती माथुर

आखिरी बच्चा

आखिरी बच्चा
उड़ा छोड़ घोंसला
एकाकी वृद्ध

–जानकी वाही

आकुलता है

आकुलता है
घरों को लौटने की
साँझ से पूर्व

–कुसुम नैपसिक

आकाश रोया

आकाश रोया
हरसिंगार हँसा
दोनों बिखरे!

–डॉ. विद्याविन्दु सिंह

आकाश मौन

आकाश मौन
आदमी विज्ञापन
खड़ा जग में

–शिव कुमार बैरागी

आकाश पुष्प

आकाश पुष्प
युगों से ढूँढ़ती स्त्री
अपना घर

–पुष्पा सिंघी

आकाश झुका

आकाश झुका
बादल बन आया
धरती छूने

–विनोद सेठ

आकाशगंगा

आकाशगंगा
दूध से नहलाती
तारा–समूह

–डॉ. रश्मि वार्ष्णेय

आकर बैठी

आकर बैठी
ठूँठ पे तितलियाँ
फूल ही फूल

–तुकाराम पुंडलिक खिल्लारे

आओ रे ग्रीष्म!

आओ रे ग्रीष्म!
तैयार हैं हम भी
बोलीं कोंपलें

–कमलेश भट्ट कमल

आओ तोड़ दें!

आओ तोड़ दें!
रूढ़ियों का आकाश
लगा फैलने

–प्रदीप कुमार दाश ‘दीपक’

आएगा सूर्य

आएगा सूर्य
देर से जागता है
सर्दी जो है ना!

–लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

आयी बारिश

आयी बारिश
भर गये तालाब
भरे मन भी

–सौरभ चतुर्वेदी

आईना बनी

आईना बनी
रात में झील, चाँद
करे सिंगार

–रेनू पाण्डेय

आयी तितली

आयी तितली
फूलों की प्रदर्शनी
बिना टिकिट

–आभा खरे

आँसू बहाएँ

आँसू बहाएँ
ढाँक–ढाँक चेहरा
लोग पत्थर

–डा. माधव पण्डित

आँसू पोंछने

आँसू पोंछने
तैयार मिले लोग
निज शर्तों पे

–सुजाता शिवेन

आँसू न पोंछे

आँसू न पोंछे
कभी तेरी आँख के
चुभन यही

–रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

आँसू तो होते

आँसू तो होते
महज़ खारा पानी
दर्द–रवानी

–कमल कपूर

आँसू छिपाती

आँसू छिपाती
मायके आती बेटी
हँसी ओढ़ती

–सावित्री कुमार

Thursday, June 08, 2023

आँसू के कंधे

आँसू के कंधे
उठाकर ले गये
मन का बोझ

–अभिषेक जैन

आँसू की चीख

आँसू की चीख
दर्द का एहसास
मन उदास!

–अ. कीर्तिवर्धन

आँधी से खफा

आँधी से खफा

नहा कर वर्षा में

सो गया वृक्ष


–डॉ. नरेन्द्र कल्ला


आँधी में थकी

आँधी में थकी

हवा सहज लेटी

फूल शय्या में


–झींणाभाई देसाई ‘स्नेहरश्मि’

आँधी में गिरा

आँधी में गिरा

मेरे द्वार का नीम

दोस्त था मेरा!


–प्रकाश कारमोकर

आँधी में गिरा

आँधी में गिरा

द्वार का बरगद

मन उदास


–शबाब हैदर

आँधी प्रचंड

आँधी प्रचंड

स्थानांतरित होते

रेत–पहाड़


–अंशु विनोद गुप्ता

Thursday, February 23, 2023

ओस के आँसू

ओस के आँसू 
सर्द आहों में डूबे
भीगती चम्पा

-नीलम वर्मा

रात ने मारा

रात ने मारा
चाँद के घर छापा
मिला प्रकाश

-अलंकार आच्छा

फूलों से सजी

फूलों से सजी
कर न पाई शाख़
चाँद से बात !

-शांति शर्मा

निशा का जूड़ा

निशा का जूड़ा
फूल टाँकता चाँद
कुढ़े चाँदनी।

-सुषमा चौरे

लगा के गले

लगा के गले
शातिर समंदर
नदी को छले

-अभिषेक जैन

लगा के टीका

लगा के टीका
माँ काजल को सौंपे
सुरक्षा-ठेका

-हंस जैन

आँधी–तूफान

आँधी–तूफान
भूखी–प्यासी गौरैया
ढूँढ़े मकान
–सविता बरई वीणा

आँधी की फ़ौज

आँधी की फ़ौज 
कर सकी न कम 
दीये का जोश
–डॉ. राजीव गोयल

आँधी आ रही

आँधी आ रही
आशियाना पंछी का
सहमा खड़ा
–पुष्पा रस्तोगी

आँधी आते ही

आँधी आते ही
शोर मचाती हवा
हुई उद्दण्ड
–डॉ. सूरजमणि स्टेला कुजूर

आँधियो आओ!

आँधियो आओ!
जला दिया हमने
अपना दीया
–डॉ. कुन्दनलाल उप्रेती

आँधियों में भी

आँधियों में भी
डरते नहीं दीप
हौसले वाले!
–डॉ. गोपाल बाबू शर्मा

आँधियाँ यहाँ

आँधियाँ यहाँ
बोलती हैं हमला
सपनों पर
–कल्पना लालजी

आँधियाँ चलीं

आँधियाँ चलीं
बिछुड़ते पेड़ से
काँपते पत्ते
–रेखा जोशी

आँधियाँ आयीं

आँधियाँ आयीं
टुकड़ों में बिखरा
घना बादल
–विष्णु प्रिय पाठक

आँचल कोरा

आँचल कोरा
धूल कहीं से उड़ी
दागी विधवा
–डॉ. सुधा ओम ढींगरा

Wednesday, February 22, 2023

फंदे बुनते

फंदे बुनते 
सलाइयों के साथ
माँ का दुलार 

-ममता शर्मा

आँगन बैठी

आँगन बैठी
फुदकी फुदकती
बिल्ली तकती

–डॉ. महावीर सिंह

आँगन सूना

आँगन सूना
गौरैया उड़ गयी
नीम कटी जो
–पीयूषकुमार द्विवेदी ‘पूतू’

आँगन रीता

आँगन रीता
अकेला बूढ़ा जन
कैसे जी लेता
–डॉ. राजकुमारी पाठक

आँगन खड़ी

आँगन खड़ी
बाँदी कटोरा हाथ
भिक्षुणी रात
–नीलमेन्दु सागर

आँखों से सुनी

आँखों से सुनी
बहरी बिटिया ने
गिद्धों की बातें!
–आर बी  अग्रवाल

आँखों से मेरे

आँखों से मेरे
बौराया मौसम यूँ
झरता रहा
–रेणु चन्द्रा माथुर

आँखों में पानी

आँखों में पानी
रात भर भीगते
यादों के पन्ने
–डॉ. विश्व दीपक बमोला

आँखों में नमी

आँखों में नमी
बेगाना कोई घर
अम्मा की कमी
–रोहित कुमार हैप्पी

आँखों में देख

आँखों में देख
पढ़ लेती मन को
आज भी अम्मा
-योगेन्द्र वर्मा

आँखों में घुसा

आँखों में घुसा
बहेगा सारी उम्र
बाढ़ का पानी
–मुकेश शर्मा

Tuesday, October 18, 2022

आँखों में गड़ा

आँखों में गड़ा
सच बोलते ही मैं
अकेला पड़ा
-वृंदावन वर्मा

आँखों में कटी

आँखों में कटी
नींद को तरसती
उनींदी रात
-रजनी श्रीवास्तव ‘अनंता’

आँखों में आशा

आँखों में आशा
निहारे काले मेघ
धान की बालें
-जीतेश वैश्य

आँखों में आ के

आँखों में आ के
अक्सर तैर जाती
बच्चों की नाव
-पुष्पा जमुआर

आँखों ने कहा

आँखों ने कहा
साथ यहीं तक था
रो पड़े आँसू
-रघुनंदनप्रसाद दीक्षित ‘प्रखर’

आँखों की नींद

आँखों की नींद
सपनों की नाव में
तैरती रही

-डॉ. सरस्वती माथुर

आँखों की नमीं

आँखों की नमीं
बूँद-बूँद टपके
कहे कहानी

-डॉ. इन्दिरा शर्मा

आँखों की नमी

आँखों की नमी
बंजर न होने दे
रिश्तों की ज़मीं
-कृष्णा वर्मा

Monday, October 17, 2022

आँखों की क्यारी

आँखों की क्यारी
बोये नींद के बीज
सपने उगे
-डॉ. सरस्वती माथुर

आँखें मलती

आँखें मलती
पूरब की साँकल
उषा ने खोली
-विद्या चौहान

आँखें मलता

आँखें मलता
कुहरे की शॉल में
सूर्य निकला
-डॉ. पूनम

आँखें बादल

आँखें बादल
बह गया काजल
जीवन सूना!
-रेखा राजवंशी

आँखें दिखाते

आँखें दिखाते
पीली सरसों खेत
बसंत भर
-डॉ. विद्याविन्दु सिंह

आँखें जो मिलीं

आँखें जो मिलीं
अंकुरित हो उठा
स्नेह का बीज
-डॉ. मुकेश भद्रावले

आँखें छलकें

आँखें छलकें
सुधियों में आए माँ
दिन-त्योहार
-डॉ. सुधा ओम ढींगरा

आँखें करतीं

आँखें करतीं
मौन के लिबास में
ढेरों संवाद
-रमेश गौतम

आँख मिचौली

आँख मिचौली
कोहरा-धूप खेलें
सिगड़ी जली
-निवेदिताश्री

आँकड़ों भरी

आँकड़ों भरी
देश की किताब में
जिंस आदमी

-कमलेश भट्ट कमल

Sunday, October 09, 2022

अहा झरना

अहा झरना!
पर्वतों का वनों से
बातें करना
-सूर्यभानु गुप्त

अहम बढ़े

अहम बढ़े
विचार तार–तार
रिश्ते खण्डित
-डॉ. स्वर्णिमा सिन्हा

अहं ये मेरा

अहं ये मेरा
जागा रहा हमेशा 
सोती रही मैं
-विनीता तिवारी

अहं में चूर

अहं में चूर
खड़े सबसे दूर
ताड़, खजूर
-श्रीकृष्ण कुमार त्रिवेदी

अहं की छौंक

अहं की छौंक 
बिगाड़ती ज़ायका 
बेस्वाद रिश्ते
-आराधना झा श्रीवास्तव

अहं की गर्मी

अहं की गर्मी 
रिश्तों का वटवृक्ष 
ठूँठ हो गया
-वीरेश अरोड़ा‘वीर’ग

अस्फुट शब्द

अस्फुट शब्द
कह डालते बात
भावों से भरी
-सीमा स्मृति

असह्य ताप

असह्य ताप
डाँडिया नाच रहा
अमलतास
-शैल सक्सेना

असंगत है

असंगत है
पतझर–बसंत
फिर भी साथ
-सविता मिश्रा

अशांत मन

अशांत मन
रहता भटकता
खोजता शांति
-सूक्ष्मलता महाजन

अल्हड़ हवा

अल्हड़ हवा
भागती फिर रही
बिना ब्रेक के
-मधु गोयल

अल्हड़ हवा

अल्हड़ हवा
उदास पेड़ों को छू
खिलखिलाए
-आरती मिश्रा

अल्गोजा बजा

अल्गोजा बजा
धुन पर थिरकें
हवा के बच्चे
-ममता मिश्रा

अलाव जले

अलाव जले
कनटोपा लगाये
बच्चे निकले
-राजेन्द्र पुरोहित

अलार्म बजा

अलार्म बजा
छोड़ जाते शिशु को
खत के साथ
-संतोष ढाँढनियाँ

Thursday, September 29, 2022

अलसायी-सी

अलसायी-सी
गुनगुनी धूप में
ओस की बूँद
-कृष्ण कुमार यादव

Tuesday, September 27, 2022

अलगनी पे

अलगनी पे
कपड़ों का है मेला
जिस्म अकेला
-केशव शरण

अलग बीज

अलग बीज
अलग खाद पानी
फसल जुदा
-राजेन्द्र धस्माना

अरुणोदय

अरुणोदय
अँधेरी रात पर
ज्योति–विजय
-डॉ. मधुसूदन साहा

अम्मा की लोरी

अम्मा की लोरी
पलकों पर नींद
भीगे फाहे–सी
-इन्दिरा किसलय

अम्मा की पाती

अम्मा की पाती
कुशलक्षेम लिखा
दर्द ही दिखा
-बिन्दूजी महाराज बिन्दू

अम्बर घना

अम्बर घना
धीर पीर से बना
गर्व से तना
-मीनू झा

अमृत बाँट

अमृत बाँट
चाँद रहा खामोश
सिंधु उछला
-पुष्पा मेहरा

अमीर तोंद

अमीर तोंद
सदियों से ढो रहा
गरीब पेट
-वंदना वात्स्यायन

अमा की रात

अमा की रात
लालटेन के साथ
पटबीजना
-हंस जैन

अमा की रात

अमा की रात
तारों की महफिल
छुट्टी पे चाँद
-पुष्पा सिंघी

Monday, September 26, 2022

अमा की रात

अमा की रात
गंगा में तैरे दीये
करते बात!
-निवेदिताश्री

अमलतास

अमलतास
हवा में लहरायी
पीली ओढ़नी

-सुजाता शिवेन

अमलतास

अमलतास
सोने के झूलों पर
मौसम झूले
-डॉ. मंजु गुप्ता

अमलतास

अमलतास
ले मानव संत्रास
खड़ा उदास
-श्यामलाल यादव

अमलतास

अमलतास
पीली झुमकी डाले
खिलखिलाए
-सरला अग्रवाल

अमलतास

अमलतास
झुक, झूम रहा है
संग पलाश
-नवीन चतुर्वेदी

अमा की रात

अमा की रात
चाँद ने है पहनी
काली पोशाक

-कंचन अपराजिता

अमलतास

अमलतास
जब बाहें फैलाए
धरा मुस्काये!

-अनिता लाल

अमर बेल

अमर बेल 
विटप पर सोहे
विप्र–जनेऊ
-आदित्यप्रताप सिंह

अभिलाषाएँ

अभिलाषाएँ
पंख लगा उड़तीं
दाना चुगतीं
-कमलेश चौरसिया

अभिलाषाएँ

अभिलाषाएँ 
द्वार खटखटाएँ
मन को भाएँ
-नवीन चतुर्वेदी

अभाव हँसा

अभाव हँसा
बोझ बना जीवन
रोया भिखारी
-मुकेश रावल

अभागी नदी

अभागी नदी
परम्परा के नाम
कूड़ों से लड़ी
-आलोक अनल डनसेना

अबोली नारी

अबोली नारी
पाथ रही गोयठा
चित्रलेखा-सी
-नलिनीकांत

अबोध शिशु

अबोध शिशु
दौड़ता पकड़ने
निज छाया को
-शैल सक्सेना

अब है कौन

अब है कौन
ये सुनकर सारे
हो गये मौन
-केशव यादव

अब मिली है

अब मिली है
जीवन की डायरी
पता गायब
-डॉ. मिथिलेश दीक्षित

अब न रो री

अब न रो री
कहती रो पड़ीं रे
सखियाँ स्वत:
-आदित्यप्रताप सिंह

अब तो बस

अब तो बस 
हर ओर छायी है 
बारूदी गंध
-मंजु मिश्रा

अपार्टमेंट

अपार्टमेंट 
नभ-धरा के बीच 
टँगे हैं लोग!
-मीनू खरे 

अपार सिंधु

अपार सिंधु
अनिमेष निहारे
नवेली निशा
-स्वाति भालोटिया

अपशकुनी

अपशकुनी
बैठा है सूखी डाल
काक अकेला
-डॉ. सुरेन्द्र वर्मा

अपराध है

अपराध है
अपराधी कौन है
सभी मौन हैं
-डॉ. मिथिलेश दीक्षित

Sunday, September 25, 2022

अपने रूठे

अपने रूठे
जग वालों के साथ
नाते यूँ टूटे!
-आनंद सिंघनपुरी

अपने ‘पर’

अपने ‘पर’
तौलते रहे पक्षी
दरख़्तों पर 
-बृजेश त्रिपाठी

अपने तट

अपने तट
डूबते देखती है
उफनती नदी
-गंगा पांडेय भावुक

अपने जाये

अपने जाये
अपनों के हो गये
बुढ़ापा रोये
-भगवत भट्ट

अपने घोड़े

अपने घोड़े
बेलगाम हो गये
कैसी लाचारी!
-सावित्री डागा

अपनी व्यथा

अपनी व्यथा
चीखकर बताता
समुद्र हमें
-ममता किरण

अपनी भाषा

अपनी भाषा
अपने जैसे लोग
सीमा के पार
-पवन कुमार जैन

अपनी बोली

अपनी बोली
कितनी मीठी प्यारी
मिसरी घोली
-सूर्यदेव पाठक पराग

अपनी पारी

अपनी पारी
सुख-दु:ख खेलते
आ बारी–बारी 
-डॉ. सुरंगमा यादव

अपना हाथ

अपना हाथ
खींच लेते हैं लोग
वक़्त के साथ
-उमेश कुमार पटेल

अपना मन

अपना मन
अपने ही कर्मों का
एक दर्पन
-ज्ञानेन्द्र साज़

अपनापन

अपनापन
ढूँढ़ मत दोस्तों में
टूट जाएगा!
-डा. सुरेन्द्र सिंघल

अपनापन

अपनापन
गल रहा मोम–सा
आकुल मन
-द्विजेन्द्र शर्मा

अपनापन

अपनापन
अपनों में खोजना
रेत में सुई
-निवेदिताश्री

अपना दोष

अपना दोष
और के माथे मढ़ा
हुआ सन्तोष
-भँवरलाल उपाध्याय ‘भँवर’

अपना अण्डा

अपना अण्डा
साथ लिये घूमती
नन्ही चींटी भी
-सूरज कुमार

Monday, September 12, 2022

अनाम गंध

अनाम गंध
बिखेर रही हवा
धान के खेत
-डॉ.  जगदीश व्योम

अनाथ हुआ

अनाथ हुआ
साँसों का परिवार
बिना जंगल
-डॉ. सन्तोष व्यास

अनाथ बच्चे

अनाथ बच्चे
समय से पहले
हुए सयाने

-शैलेन्द्र चौहान

अनमनी हैं

अनमनी हैं
धूप छू हँस देंगीं
रूठी कलियाँ
    -डॉ. अश्विनी कुमार विष्णु


अधूरे ख़्वाब

अधूरे ख़्वाब
अजीब-सा सन्नाटा
टूटता दिल
-सुरेश चौधरी
(हाइकु कोश) 

अपने जाये

अपने जाये
अपनों के हो गये
बुढ़ापा रोये
-भगवत भट्ट
(हाइकु कोश)

अधूरे खत

अधूरे खत
आवारा दोपहरें
पुरानी यादें!
-नरेश बोहरा नाशाद
(हाइकु कोश)


अधूरा ज्ञान

अधूरा ज्ञान
कराये अनादर
घटाये मान
-प्रशान्त शर्मा
(हाइकु कोश) 

अधूरा चित्र

अधूरा चित्र
बारिश में भीगती
नई दुल्हन

-संजय सनन

Thursday, August 11, 2022

अधिक बातें

अधिक बातें
बेमतलब हँसी
उलझे रिश्ते
-मानोशी चटर्जी
(हाइकु कोश)

अत्यंत खुश

अत्यंत खुश
देखकर नन्हे को 
तुतलाता हूँ
-डॉ. नरेन्द्र कल्ला
(हाइकु कोश)

अतिथि कक्ष

अतिथि कक्ष
द्वार, पर्दे, बिस्तर
प्रतीक्षारत
-आभा खरे
(हाइकु कोश)

अठखेलियाँ

अठखेलियाँ
मिली ज्यों सहेलियाँ
सिन्धु-लहरें
-सुदर्शन रत्नाकर
(हाइकु कोश)

अटारी गिरी

अटारी गिरी
खण्डित प्रतिमाएँ
टूटे सपने
-डॉ. सन्तोष व्यास
(हाइकु कोश)

अटकी साँसें

अटकी साँसें
स्वेद से भीगा तन
सिर पे बोझा
-पुष्पा मेहरा
(हाइकु कोश)

अटकी साँस

अटकी साँस
कागज की किताब
पेड़ खा गयी
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
(हाइकु कोश)

अटकी कारें

अटकी कारें
ऊँट के कूबड़-सा
स्पीड ब्रेकर
-राजेन्द्र मिश्र
(हाइकु कोश)

अटका चाँद

अटका चाँद
नीम की डाली पर
बना पतंग
-नरेन्द्र मिश्रा
(हाइकु कोश)

अजां औ घंटे

अजां औ घंटे
ठेले की अँगीठी पे 
चाय पतीला
-उपेन्द्र प्रताप सिंह
(हाइकु कोश)

अपने तट

अपने तट
डूबते देखती है
उफनती नदी
-गंगा पांडेय भावुक
(हाइकु कोश)

अपराध है

अपराध है
अपराधी कौन है
सभी मौन हैं
-डॉ. मिथिलेश दीक्षित
(हाइकु कोश)

अपराधी हैं

अपराधी हैं
सुरक्षित विहार
ये कारागार
-अमिताभ त्रिपाठी ‘अमित’
(हाइकु कोश)

अपशकुनी

अपशकुनी
बैठा है सूखी डाल
काक अकेला
-डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
(हाइकु कोश)

अपार सिंधु

अपार सिंधु
अनिमेष निहारे
नवेली निशा
-स्वाति भालोटिया
(हाइकु कोश)

अपार्टमेंट

अपार्टमेंट 
नभ-धरा के बीच 
टँगे हैं लोग!
-मीनू खरे
(हाइकु कोश)

अब तो बस

अब तो बस 
हर ओर छायी है 
बारूदी गंध
-मंजु मिश्रा
(हाइकु कोश)

अजब हैं ये

अजब हैं ये
दुनियावी रिश्ते भी
मौसम-जैसे
-डॉ.आरती स्मित
(हाइकु कोश)

अजब याद

अजब याद
हूक-सी दे जाती है
सोन चिरैया!
-डॉ. लक्ष्मणप्रसाद नायक
(हाइकु कोश)

अजगर सा

अजगर-सा
महानगर दाबे
चूहे-सा गाँव
-डॉ.जीवनप्रकाश जोशी
(हाइकु कोश)

अछूत बन

अछूत बन
गुमसुम-सी खड़ी
द्वार की घंटी
-डॉ.पूर्वा शर्मा
(हाइकु कोश)

अचेत नदी

अचेत नदी
बिन माँ के बच्चों-सी
सुबके रेत
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
(हाइकु कोश)

अग्नि-परीक्षा

अग्नि-परीक्षा
जानकी प्रकटन
व्यर्थ विवाद
-प्रो.ओमप्रकाश गुप्ता
(हाइकु कोश)

अग्नि कुंड पे

अग्नि कुंड पे
बारिश का हमला
जूझती ज्वाला
-अरुन शर्मा
(हाइकु कोश)

अगन बाण

अगन बाण
तड़पती धरणी
दुबली नदी
-अनंत आलोक
(हाइकु कोश)

अखर गया

अखर गया
चुपचाप अर्घ्य-सा
मन-रीतना!
-रजनीकांत
(हाइकु कोश)

अक्षांश भिन्न

अक्षांश भिन्न
फिर भी धरती है
हर कहीं ‘माँ’!
-धर्म जैन
(हाइकु कोश)

अक्षय तीज

अक्षय तीज
बद्री के खुले द्वार
पर्वत बीच
-डॉ.जितेन्द्र कुमार मिश्रा
(हाइकु कोश)

अकेले नहीं

अकेले नहीं
सूरज भी चलता
तुम्हारे साथ
-शिवमोहन सिंह ‘शुभ्र’
(हाइकु कोश)

अकेली साँझ

अकेली साँझ
न चंदा न सूरज
बस गौ-रज
-रेखा रोहतगी
(हाइकु कोश)

अकेली रात

अकेली रात
खोलती सपनों की
बंद पिटारी
-शम्भूदयाल सिंह ‘सुधाकर’
(हाइकु कोश)

अकेली जान

अकेली जान
अपनापन लिए
ढलती साँझ
-आरती पारीख
(हाइकु कोश)

अकेला राही

अकेला राही
घुमावदार रास्ता
वर्षा का पानी
-डॉ. सूरजमणि स्टेला कुजूर
(हाइकु कोश)

अकेलापन

अकेलापन
हालात से जूझते
जख़्मी सम्बंध
-अमिता मिश्रा ‘मीतू’
(हाइकु कोश)

अकेलापन

अकेलापन
मन की उतरन
अँधेरी रात
-शशि पुरवार
(हाइकु कोश)

अकेलापन

अकेलापन
नहीं होती बपौती
किसी एक की!
-अ. कीर्तिवर्धन
(हाइकु कोश)

अकेला तू ही

अकेला तू ही
बदलेगा दुनिया
शुरू तो कर!
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
(हाइकु कोश)

अकेला चाँद

अकेला चाँद
साथ मेरे चलता
रात में डरे
-रमेश कुमार सोनी
(हाइकु कोश)

Wednesday, August 10, 2022

अकड़ा खड़ा

अकड़ा खड़ा
गुलाब के आँगन
कुकुरमुत्ता!
-डॉ. जगदीश व्योम
(हाइकु कोश)

अंबर तले

अंबर तले
धरती की गोद में
सोया जगत
-उषा सोनी
(हाइकु कोश)

अँधेरे रहे

अँधेरे रहे
लगा सवेरा रुका
दूर पूर्व में
-राकेश खण्डेलवाल
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
हनुमान चालीसा
पढ़ते बच्चे
-उमेश मौर्य
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
बेखौफ घूमती है
हवा आवारा!
-रेणु चन्द्रा माथुर
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
फटी चटाई पर
जख़्मी सपने
-डॉ. सूरजमणि स्टेला कुजूर
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
तारे कीलें ठोंकते
उजियारे की
-सदाशिव कौतुक
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
टिम–टिम जुगनू
राह दिखाते
-संतोष कुमार प्रधान
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
झींगुर चौकीदार
सीटी बजाते
-सुभाष नीरव
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
चुनौती ली तारों ने
जागते रहो
-डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
खतरनाक रास्ता
अकेली नारी
-रामकुमार पटेल ‘शांत’
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
कोख में है पलता
उजला प्रात
-शिवमूर्ति तिवारी
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
करते लोग फिर
आस्था की बातें
-अशेष बाजपेयी
(हाइकु कोश)

अँधेरी रात

अँधेरी रात
ओसारे में बैठी है
दीया जलाये
-डॉ. शैल रस्तोगी
(हाइकु कोश)

अँधेरी घाटी

अँधेरी घाटी
आतंक मचा रही
धर्मांध हवा
-नीलमेन्दु सागर
(हाइकु कोश)

अँधेरा भागा

अँधेरा भागा
उषा का आगमन
देख न सका
-स्वराज सिंह
(हाइकु कोश)

अँधेरा बढ़ा

अँधेरा बढ़ा
सब डूबते गए
‘मैं’ कहाँ बचा!
-डॉ. नईम साहिल
(हाइकु कोश)

अँधेरा बड़ा

अँधेरा बड़ा
या उजाला बड़ा है?
प्रश्न कड़ा है
-सुरेश गुप्त ‘सीकर’
(हाइकु कोश)

अँधेरा फिरे

अँधेरा फिरे
लौटने का संदेश
हवा में तिरे
-सुजाता शिवेन
(हाइकु कोश)

अँधेरा नहीं

अँधेरा नहीं
रोशनी छलावा थी
भेदभाव की
-सिद्धेश्वर
(हाइकु कोश)

अँधेरा नहीं

अँधेरा नहीं
उजाला डराता है 
चोर मन को
-अर्बुदा पाल
(हाइकु कोश)

अँधेरा घिरे

अँधेरा घिरे
व्याकुल–सा जुगनू
भटका फिरे
-डॉ. कुँवर दिनेश सिंह
(हाइकु कोश)

अंधी वीथी में

अंधी वीथी में
उतरा धीरे-धीरे
नया सवेरा
-डॉ. शैल रस्तोगी
(हाइकु कोश)

अंधी भिक्षुणी

अंधी भिक्षुणी
कटोरे में बटोरे
भीख घटा की
-दिनेश चन्द्र पाण्डेय
(हाइकु कोश)

अँधियारे में

अँधियारे में
बातें करती बूँदें
थकी न रात
-राधेश्याम
(हाइकु कोश)

अँधियारे की

अँधियारे की 
फलियाँ छीलती है
कोने में भोर
-डॉ. शैल रस्तोगी 
(हाइकु कोश)

अंतिम स्टेज

अंतिम स्टेज
दवाइयों से भरा
शृंगार बॉक्स
-संजय सनन
(हाइकु कोश)

अंतिम पत्ता

अंतिम पत्ता
गिरा दिया वृक्ष ने
शांत भाव से
-शैल सक्सेना
(हाइकु कोश)

अंत जरूरी

अंत जरूरी
नये आरंभ हेतु
डूबता सूर्य
-विद्या चौहान 
(हाइकु कोश)

अंडों पे बैठी

अंडों पे बैठी
सोचती है चिड़िया
साँप शातिर
-नीलमेन्दु सागर
(हाइकु कोश)

अंडों पे बैठी

अंडों पे बैठी
प्रेम में नहाकर
नन्ही गौरैया
-किरन सिंह
(हाइकु कोश)

अँजुरी भर

अँजुरी भर
मायके का दुलार
माँ का खोंइचा
-आराधना झा श्रीवास्तव
(हाइकु कोश)

अंजान सब!

अंजान सब!
कहाँ से कहाँ तक
चलती नदी
-सुनीता पाहूजा
(हाइकु कोश)

अंकुर नहीं

अंकुर नहीं
जीवन ही जीवन
बीजों से फूटे
-कमलेश भट्ट कमल
(हाइकु कोश)

अंगों का दान

अंगों का दान
ज़िंदा रहेंगे सदा
मर कर भी
-दिव्या माथुर
(हाइकु कोश)

अँगुलियों से

अँगुलियों से
नापती आकाश को
आज की पीढ़ी
-राजेन्द्रमोहन त्रिवेदी ‘बंधु’
(हाइकु कोश)

अँगीठी पर

अँगीठी पर
माँ खुद को पकाती
ख़्वाब बुनती
-डा. सूरजमणि स्टेला कुजूर
(हाइकु कोश)

अंगार धरे

अंगार धरे
जंगल दहकते
पलाश खड़े
-डॉ. महावीर सिंह
(हाइकु कोश)

अंकों की दौड़

अंकों की दौड़
बच्चे घरों में कैद
मैदान सूने
-रमेश कुमार सोनी
(हाइकु कोश)

अंकुर फूटा

अंकुर फूटा
मिट्टी, उमस बीच
उम्मीद बँधी
-शार्दुला नोगजा
(हाइकु कोश)

अंकुर फूटा

अंकुर फूटा
बड़बोले सूखे का
अहम टूटा
-हरिराम पथिक
(हाइकु कोश)

अंकुर फूटा

अंकुर फूटा
चट्टान को फाड़ के
नन्हा कोमल
-श्याम खरे
(हाइकु कोश)